कुछ ख़्वाब.. मुक्तक

1 Part

271 times read

4 Liked

कुछ ख्वाब हमारी आंखों में, हर शाम उतरते रहते हैं। कुछ आशाओं के नये दीए, पलकों पर जलते रहते हैं।। जो काम कल पे टाल के हम,रात को चैन से सोएं ...

×